कंकाल के रूप में 600 साल से तड़प रही है यह आत्माएं
भारत वर्ष दुनियां के ऐतिहासिक राष्ट्रों में से एक है.
इसका विस्तृत इतिहास बेहद रोमांचकारी और अपने अंदर कई रहस्यों को समेटे हुए है. पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक फैली भारत की सीमाओं के अंदर कई ऐसे राज हैं जो आज भी सुलझने का इंतजार कर रहे हैं.
ऐसे ही कुछ राज छिपे हैं हिमालय की विशाल श्रृंखलाओं और गुफाओं में. इन गुफाओं में जितनी खोज की जाती है उतने ही राज सामने आते जाते हैं. हिमालय अपने सीने में अनेक रहस्यों को छिपाएं हुए है. जानकार इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्राचीन काल से ही यहां जिज्ञासुओं और पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता था. हिमालय की बर्फीली पहाड़ियों के बीच बसा रूपकुंड भी ऐसे ही रहस्यों को समेटे हुए हैं, जिन्हें सुलझा पाना शायद किसी के लिए भी सरल नहीं है. अभी तक बहुत से वैज्ञानिकों द्वारा रूपकुंड के रहस्यों को भेदने के दावे तो बहुत हुए हैं लेकिन कोई भी अभी तक वहां रखे नरकंकालों के रहस्य से पर्दा नहीं उठा पाया है. दुर्गम होने के कारण वर्षों तक अज्ञात रहे इस कुंड में 500 से अधिक नरकंकाल बिखरे पड़े हैं. लेकिन बर्फीली झील के पास इतने सारे कंकाल किसके हैं, यह कोई नहीं समझ पा रहा है.
वन विभाग के पूर्व अधिकारी मढ़वाल वर्ष 1942-43 में दुर्लभ पुष्पों की खोज करते-करते यहां पहुंच गए थे लेकिन जब उन्होंने इतनी संख्या में नर कंकालों को देखा तो उन्हें लगा कि वह किसी दूसरे ही लोक में आ गए हैं. उनके साथी तो इस दृश्य को देखकर डरकर भाग गए.
वर्ष 1957 से 1961 तक यहां कई शोध परीक्षण किए जाते रहे. लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध नृवंशशास्त्री डॉ. डी.एन. मजूमदार ने भी 1957 में यहां से कुछ कंकालों के नमूने मानव शरीर विशेषज्ञ डॉ. गिफन को अमेरिका भेजे. रेडियो कार्बन विधि से परीक्षण करने पर डॉ. गिफन को ज्ञात हुआ कि यह कंकाल लगभग 400-600 वर्ष पुराने हैं.इन कंकालों के पीछे की हकीकत तो कोई नहीं जान
1 Comments
Interesting
ReplyDelete